۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
रहबर

हौज़ा/इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनेई ने आज सुबह इराक़ के प्रधानमंत्री मुहम्मद शेया अलसूदानी से मुलाक़ात में ग़ज़ा की पीड़ित जनता के समर्थन में इराक़ की सरकार और जनता के अच्छे और ठोस स्टैंड की प्रशंसा की उन्होंने ग़ज़ा में क़त्ले आम रुकवाने के लिए इस्लामी  दुनिया की तरफ़ से अमरीका और ज़ायोनी सरकार पर सियासी दबाव बढ़ाए जाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनेई ने आज सुबह इराक़ के प्रधानमंत्री मुहम्मद शेया अलसूदानी से मुलाक़ात में ग़ज़ा की पीड़ित जनता के समर्थन में इराक़ की सरकार और जनता के अच्छे और ठोस स्टैंड की प्रशंसा की उन्होंने ग़ज़ा में क़त्ले आम रुकवाने के लिए इस्लामी  दुनिया की तरफ़ से अमरीका और ज़ायोनी सरकार पर सियासी दबाव बढ़ाए जाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने कहा कि इलाक़े के एक अहम मुल्क की हैसियत से इराक़ इस सिलसिले में विशेष भूमिका निभा सकता है और अरब जगत व इस्लामी दुनिया के बीच कए नई पंक्ति खड़ी कर सकता है।

इस्लामी क्रांति के नेता ने ग़ज़ा की बेहद चिंताजनक स्थिति और इन अपराधों और वहशियाना हमलों से दुनिया के सारे स्वतंत्र स्वभाव के इंसानों के दिलों को पहुंचने वाली ठेस की तरफ़ इशारा करते हुए कहा कि ज़ायोनी सरकार के हमलों के बिल्कुल आरंभिक दिनों से ही सभी साक्ष्य जंग को आगे बढ़ाने में अमरीकियों की प्रत्यक्ष भूमिका की निशानदेही कर रहे थे और जैसे जैसे जंग आगे बढ़ रही है ज़ायोनी सरकार के अपराधों की मंसूबाबंदी में अमरीकियों की प्रत्यक्ष भूमिका के कारण और भी स्पष्ट होते जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि अगर अमरीका की सियासी व सामरिक मदद न हो तो ज़ायोनी सरकार इस काम को जारी नहीं रख पाएगी।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने कहा कि यह बात बिल्कुल ज़ाहिर है कि ग़ज़ा में हो रहे अपराधों में अमरीकी पूरी तरह शामिल हैं। उन्होंने कहा कि ग़ज़ा में हो रहे सामूहिक नरसंहार के बावजूद इस मुक़ाबले में ज़ायोनी सरकार अब तक वास्तविक पराजित पक्ष है क्योंकि वह अपनी खोई हुई इज़्ज़त वापस नहीं ले सकी और आगे भी वापस नहीं ले पाएगी।

इस्लामी क्रांति के नेता ने ग़ज़ा में बमबारी रोकने के उद्देश्य से अमरीका और ज़ायोनी सरकार पर राजनैतिक दबाव बढ़ाने के लिए व्यापक रूप से कोशिशें किए जाने पर ज़ोर दिया और कहा कि इस्लमी गणराज्य ईरान और इराक़ आपसी समन्वय के ज़रिए इस सिलसिले में प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं।

इस्लामी क्रांति के नेता ने आर्थिक और सुरक्षा क्षेत्रों में ईरान और इराक़ के आपसी सहयोग के बारे में बात करते हुए कहा कि इन क्षेत्रों में प्रगति हो रही है लेकिन इस पर पूरी तवज्जो होनी चाहिए कि समझौतों को अमली जामा पहनाने में आरंभिक जोश को क़ायम रखते हुए काम जारी रखना चाहिए और रफ़्तार में कमी नहीं आने देनी चाहिए।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने अरबईन के दिनों में इराक़ की जनता, सरकार और ख़ुद प्रधानमंत्री की मेहमान नवाज़ी, ज़ायरीन की सेवा और अमन व सुरक्षा की स्थिति का शुक्रिया अदा किया और उनकी सराहना की।

इस मुलाक़ात में, जिसमें राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी भी मौजूद थे, इराक़ी प्रधानमंत्री अलसूदानी ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से अपनी मुलाक़ात पर बेहद ख़ुशी का इज़हार किया और अलअक़सा तूफ़ान आप्रेशन को एक साहसिक आप्रेशन और दुनिया के सभी आज़ाद ख़याल लोगों के लिए क़ाबिल तारीफ़ आप्रेशन क़रार दिया और कहा कि इस ख़ुशी के साथ ही हम सब ग़ज़ा में वहशियाना क़त्ले आम से बहुत ग़मगीन हैं।

इराक़ के प्रधानमंत्री ने कहा कि इराक़ी सरकार और अवाम और इसी तरह इराक़ी राजनैतिक दल ग़ज़ा के मामले में इस इलाक़े के मज़लूम अवाम के समर्थन की पहली पंक्ति में खड़े है। और इराक़ी सरकार ग़ज़ा में अपराधों पर अंकुश लगाए जाने के लिए व्यापक राजनैतिक कोशिशें कर रही है।

अलसूदानी ने इन अपराधों पर अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं और मानवाधिकारों के दावेदारों की ख़ामोशी की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि हमारी पूरी कोशिश पहले चरण में ग़ज़ा में बमबारी रुकवाना और दूसरे चरण में ग़ज़ा के लोगों के लिए खाने पीने की चीज़ें और दवाएं भेजना है।

उन्होंने बताया कि इस्लामी गणराज्य ईरान के राष्ट्रपति के साथ होने वाली वार्ता में इस बारे में आवश्यक समन्वय कर लिया गया है।

इराक़ के प्रधानमंत्री ने इसी तरह ईरान-इराक़ संबंधों को विस्तार देने और समझौतों को अमली जामा पहनाने पर अपनी सरकार के पुख़्ता इरादे की बात दोहराई।

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